MAIKADA MAESTRO
हम दुआ लिखते रहे वो दगा पड़ते रहे
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बुलबुला
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Wednesday, June 28, 2017
दुष्यन्त कुमार जी :ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा
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--------- दुष्यन्त कुमार जी ---------- ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दुहरा हुआ होगा मैं सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा यहाँ तक आते-आत...
दुष्यन्त कुमार जी :वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है
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---- दुष्यन्त कुमार जी -------------- वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है माथे पे उसके चोट का गहरा निशान है वे कर रहे हैं इश्क़ पे संज...
Saturday, January 7, 2017
रोटी कितनी महँगी है ये वो औरत बताएगी - Adam Gondvi
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वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है इधर एक दिन की आमदनी का औसत है चवन्नी का उधर लाखों मे...
Adam Gondvi: तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
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तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है उधर जम्हूरियत का ढोल पीते जा रहे हैं वो इधर परदे के ...
ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में: Adam Gondvi
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ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में मुसल्सल फ़न का दम घुटता है इन अदबी इदारों में न इन में वो कशिश होगी , न बू होगी , न रआनाई खिले...
जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे: Adam Gondvi
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जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक़्क़ाम कर देंगे कमीशन दो तो हिन्दोस्तान को नीलाम कर देंगे ये बन्दे-मातरम का गीत गाते हैं सुबह उठकर मगर बाज़ार...
जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में: Adam Gondvi
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जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई रमसुधी की झोंपड़ी सरपंच...
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