शाम होते ही        चिरागों को बुझा देता हूँ
यह दिल ही काफी है तेरी याद में जलने        के लिए
यह तेरी भी आंखों का कुसूर        है
      में तनहा गुनाहगार टू नही
                                                       इन ही पत्थरों पे चल के, आया        सको टू आओ
                                                       हमारे घर के रस्ते कोई कहकशां        नही 
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