Saturday, January 7, 2017

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में: Adam Gondvi

जो उलझ कर रह गई है फाइलों के जाल में
गाँव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई
रमसुधी की झोंपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए
हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी कीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहौल में
ऐसा सिक्का ढालना क्या जिस्म की टकसाल में

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