Tuesday, February 12, 2008

kaise kah duuN ki mulaaqaat nahiin hotii hai

कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है

आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी
दिल का आ जाना बड़ी बात नहीं होती है

छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है

हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है

जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो "शकील"
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है

banaa banaa ke tamannaa miTaaii jaatii hai

बना बना के तमन्ना मिटाई जाती है

बना बना के तमन्ना मिटाई जाती है
तरह तरह से वफ़ा आज़माई जाती है

जब उन को मेरी मुहब्बत का ऐतबार नहीं
तो झुका झुका के नज़र क्यों मिलाई जाती है

हमारे दिल का पता वो हमें नहीं देते
हमारी चीज़ हमीं से छुपाई जाती है

'शकील' दूरी-ए-मंजिल से ना-उम्मीद न हो
मंजिल आब आ ही जाती है आब आ ही जाती है

aaNkh se aaNkh milaataa hai koii

आँख से आँख मिलाता है कोई
दिल को खींचे लिए जाता है कोई

वा-ए-हैरत के भारी महफ़िल में
मुझ को तनहा नज़र आता है कोई

चाहिए खुद पे यकीन-ए-कामिल
हौसला किस का बढाता है कोई

सब करिश्मात-ए-तसव्वुर है "शकील"
वरना आता है न जाता है कोई

ai mohabbat tere anjaam pe ronaa aayaa

ई मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया

ई मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया

यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया

कभी तकदीर का मातम कभी दुनिया का गिला
मंजिल-ए-इश्क में हर गाम पे रोना आया

[gaam=step]

जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया

Friday, February 8, 2008

kahiin aisaa naa ho daaman jalaa lo

कहीन्न ऐसा ना हो दामन जला लो

कहीं ऐसा ना हो दामन जला लो
हमारे आंसुओं पर ख़ाक डालो

मनाना ही ज़रूरी है तो फिर तुम
हमें सब से खफा होकर मना लो

बहुत रोई हीन लगती हैं आँखें
मेरी खातिर ज़रा काजल लगा लो

अकेलेपन से खौफ आता है मुझ को
कहाँ हो ई मेरे ख़्वाबों ख्यालों

बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुम से
कभी आकर मुझे हैरत में डालो

daaG duniyaa ne diye zaKhm zamaane se mile

दाग दुनिया ने दिए ज़ख्म ज़माने से मिले


दाग दुनिया ने दिए ज़ख्म ज़माने से मिले
हम को य तोहफे तुम्हें दोस्त बनाने से मिले

हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे
वो फलाने से फलाने से फलाने से मिले

खुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता
क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले

कैसे माने के उन्हें भूल गया तू ई 'कैफ'
उन के ख़त आज हमें तेरे सरहाने से मिले

teraa cheharaa kitanaa suhaanaa lagataa hai

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है

आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझाते बुझाते एक ज़माना लगता है

सच तो य है फूल का दिल भी छलनी है
हंसता चेहरा एक बहाना लगता है

kaun aayegaa yahaaN koii na aayaa hogaa

कौन आयेगा यहाँ कोई न आया होगा
मेरा दरवाजा हवाओं ने हिलाया होगा

दिल-ए-नादाँ न धड़क, ई दिल-ए-नादाँ न धड़क
कोई ख़त लेके पड़ोसी के घर आया होगा

गुल से लिपटी हुई तितली को गिराकर देखो
आँधियों तुम ने दरख्तों को गिराया होगा

'कैफ' परदेस में मत याद करो अपना मकान
आब के बारिश में उसे तोड़ गिराया होगा

jhuum ke jab rindon ne pilaa dii

झूम के जब रिन्दों ने पिला दी
शेख ने चुपके चुपके दुआ दी

एक कमी थी ताज महल में
हमने तेरी तस्वीर लगा दी

आप ने झूठा वादा कर के
आज हमारी उम्र बड़ा दी

तेरी गली में सजदे कर के
हमने इबादतगाह बना दी

main ne dil se kahaa

मैं ने दिल से कहा
ई दीवाने बता
जब से कोई मिला
तू है खोया हुआ
य कहानी है क्या
है य क्या सिलसिला
ई दीवाने बता

मैं ने दिल से कहा
ई दीवाने बता
धड़कनों में छुपी
कैसी आवाज़ है
कैसा य गीत है
कैसा य साज़ है
कैसी य बात है
कैसा य राज़ है
ई दीवाने बता

मेरे दिल ने कहा
जब से कोई मिला
चाँद तारे फिजा
फूल भौंरे हवा
य हसीं वादियाँ
नीला य आसमान
सब है जैसे नया
मेरे दिल ने कहा

agar na zoharaa jabiinon ke daramiyaaN guzare

अगर न जोहरा जबीनो के दरमियाँ गुज़रे


अगर न जोहरा जबीनों के दरमियाँ गुज़रे
तो फिर य कैसे कटे जिंदगी कहाँ गुज़रे

जो तेरे आरिज़-ओ-गेसू के दरमियाँ गुज़रे
कभी कभी तो वो लम्हें बला-ए-जान गुज़रे

मुझे य वहम रहा मुद्दतों के जुर्रत-ए-शौक़
कहीं ना खातिर-ए-मासूम पर गिरां गुज़रे

हर इक मुकाम-ए-मोहब्बत बहुत ही दिल-काश था
मगर हम अहल-ए-मोहब्बत कशान-कशान गुज़रे

saaqii par ilzaam na aaye

साकी पर इल्जाम न आये
चाहे तुझ तक जाम न आये

तेरे सिवा जो की हो मुहब्बत
मेरी जवानी काम न आये

जिन के लिए मर भी गए हम
वो चल कर दो गाम न आये

इश्क का सौदा इतना गरान है
इन्हें हम से काम न आये

[गरान=difficult]

मैखाने में सब ही तो आये
लेकिन "जिगर" का नाम न आये

aadamii aadamii se milataa hai

आदमी आदमी से मिलता है

आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर कम किसी से मिलता है

भूल जाता हूँ मैं सितम उस के
वो कुछ इस सादगी से मिलता है

आज क्या बात है के फूलों का
रंग तेरी हँसी से मिलता है

मिल के भी जो कभी नहीं मिलता
टूट कर दिल उसी से मिलता है

कार-ओ-बार-ए-जहाँ संवारते हैं
होश जब बेखुदी से मिलता है

apanii aag ko zindaa rakhanaa kitanaa mushkil hai

अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है

अपनी आग को ज़िंदा रखना कितना मुश्किल है
पत्थर बीच आईना रखना कितना मुश्किल है

कितना आसान है तस्वीर बनाना औरों की
खुद को पास-ए-आईना रखना कितना मुश्किल है

तुमने मंदिर देखे होंगे य मेरा आँगन है
एक दिया भी जलता रखना कितना मुश्किल है

चुल्लू में हो दर्द का दरिया ध्यान में उसके होंठ
यूं भी खुद को प्यासा रखना कितना मुश्किल है

gulaab aur kapaas

गुलाब और कपास

खेतों में काम करती हुई लड़कियां
जेठ की चम्पई धूप ने
जिन का सोना बदन
सुरमई कर दिया
जिन को रातों में ओस और पाले का बिस्तर मिले
दिन को सूरज सरों पर जले

य हरे लॉन में
संग-ए-मर्मर के बेंचों पे बैठी हुई
उन हँसी मूरतों से कहीं खूबसूरत
कहीं मुखतलिफ
जिन के जूडे में जूही की कलियाँ सजीं
जो गुलाब और बेले की खुश्बू लिए
और रंगों की हिद्दत से पागल फिरें

खेत में धूप चुनती हुई लड़कियां भी
नई उम्र की सब्ज़ दहलीज़ पर हैं मगर
आईना तक नहीं देखतीं
य गुलाब और देजी की हिद्दत से नाआश्ना
खुशबुओं के जान लंस से बेखबर
फूल चुनती हैं लेकिन पहनती नहीं
इन के मलबूस में
तेज़ सरसों के फूलों की बास
उन की आंखों में रोशन कपास

koii samajhegaa kyaa raaz-e-gulashan

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन

कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन
जब तक उलझे न काँटों से दामन

याक-बा-याक सामने आना जाना
रूक न जाये कहीं दिल की धड़कन

गुल तो गुल खार तक चुन लिए हैं
फिर भी खाली है गुलचीं का दामन

कितनी आराइश-ए-आशियाना
टूट जाये न शाख-ए-नशेमन

अज़मत-ए-आशियाना बड़ा दी
बर्क को दोस्त समझूँ के दुश्मन

din guzar gayaa aitabaar men

दिन गुज़र गया ऐतबार में

दिन गुज़र गया ऐतबार में
रात कट गई इंतज़ार में

वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में

उन की इक नज़र काम कर गई
होश आब कहाँ होशियार में

मेरे कासे में कायेनात है
मैं हूँ आप के इख्तियार में

आँख तो उठी फूल की तरफ
दिल उलझ गया हुस्न-ए-खार में

तुम से क्या कहें कितने गम सहे
हम ने बे-वफ़ा तेरे प्यार में

फिक्र-ए-आशियाँ हर खिजाम की
आशियाँ जला हर बहार में

किस तरह य गम भूल जाये हम
वो जुदा हुआ इस बहार में

dil se agar kabhii teraa aramaan jaayegaa

दिल से अगर कभी तेरा अरमां जाएगा

दिल से अगर कभी तेरा अरमां जाएगा
घर को लगाके आग य मेहमान जाएगा

सब होंगे उस से अपने त'अर्रुफ़ की फिक्र में
मुझ को मेरे सुकूत से पहचान जाएगा

इस कुफ्र-ए-इश्क से मुझे क्यों रोकते हो तुम
इमान वालो मेरा ही इमान जाएगा

आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारातन
किस को खबर थी इतना बुरा मान जाएगा

आब उस मुकाम पर हैं मेरी बेक़रारियाँ
समझाने वाला होके पशेमान जाएगा

दुनिया पे ऐसा वक़्त पडेगा कि एक दिन
इंसान की तलाश में इंसान जाएगा

mohabbat karanevaale kam na honge

मोहब्बत करनेवाले कम न होंगे
तेरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे

ज़माने भर के गम या इक तेरा गम
य गम होगा तो कितने गम न होंगे

दिलों की उलझनें बदती रहेंगी
अगर कुछ मशवरे बाहम न होंगे

अगर तू इत्ताफाकान मिल भी जाये
तेरी फुर्कात के सदमें कम न होंगे

'हफीज़' उन से मैं जितना बदगुमां हूँ
वो मुझ से इस कदर बरहम न होंगे


mohabbat karanevaale kam na honge
terii mahafil men lekin ham na honge

zamaane bhar ke Gam yaa ik teraa Gam
ye Gam hogaa to kitane Gam na honge

dilon kii ulajhanen baDatii rahengii
agar kuchh mashvare baaham na honge

agar tuu ittafaaqan mil bhii jaaye
terii furqat ke sadamen kam na honge

'Hafeez' un se main jitanaa badgumaaN huuN
vo mujh se is qadar barham na honge


saaNs lenaa bhii kaisii aadat hai

सांस लेना भी कैसी आदत है
जीये जाना भी क्या रवायत है
कोई आहात नहीं बदन में कहीं
कोई साया नहीं है आंखों में
पाँव बेहिस हैं, चलते जाते हैं
इक सफर है जो बहता रहता है
कितने बरसों से, कितनी सदियों से
जिए जाते हैं, जिए जाते हैं

आदतें भी अजीब होती हैं

saaNs lenaa bhii kaisii aadat hai
jiiye jaanaa bhii kyaa ravaayat hai
koii aahaT nahiin badan men kahiin
koii saayaa nahiin hai aaNkhon men
paaNv behis hain, chalate jaate hain
ik safar hai jo bahataa rahataa hai
kitane barason se, kitanii sadiyon se
jiye jaate hain, jiye jaate hain

aadaten bhii ajiib hotii hain

haath chhuuTe bhii to rishte nahiin chhoDaa karate

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोडा करते
वक़्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते

जिस की आवाज़ में सिलवट हो निगाहों में शिकन
ऎसी तस्वीर के टुकडे नहीं जोडा करते

शहद जीने का मिला करता है थोडा थोडा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोडा करते

लग के साहिल से जो बहता है उसे बहाने दो
ऎसी दरिया का कभी रुख नहीं मोडा करते
वक़्त की शाख से लम्हें नहीं तोडा करते


haath chhuuTe bhii to rishte nahiin chhoDaa karate
vaqt kii shaaKh se lamhen nahiin toDaa karate

jis kii aavaaz men silvat ho nigaahon men shikan
aisii tasviir ke tukaDe nahiin joDaa karate

shahad jiine kaa milaa karataa hai thoDaa thoDaa
jaane vaalon ke liye dil nahiin thoDaa karate

lag ke saahil se jo bahataa hai use bahane do
aisii dariyaa kaa kabhii ruKh nahiin moDaa karate
vaqt kii shaaKh se lamhen nahiin toDaa karate

chalo naa bhaTake

चलो ना भटके
लफंगे कूचों में
लुच्ची गलियों के
चोव्क देखें
सूना है वो लोग
चूस कर जिन को वक़्त ने
रास्ते में फेंका था
सब यहीं आके बस गए हैं
यह छिलके हैं जिंदगी के
इन का अर्क निकालो
कि ज़हर इन का
तुम्हारे जिस्मों में
ज़हर पलते हैं
और जितने वो मार देगा
चलो ना भटके
लफंगे कूच०न् में

chalo naa bhaTake
lafange kuuchon men
luchchii galiyon ke
chowk dekhen
sunaa hai vo log
chuus kar jin ko vaqt ne
raasten men phenkaa tha
sab yahiin aake bas gaye hain
yeh chhilake hain zindagii ke
in kaa ark nikaalo
ki zahar in kaa
tumhare jismon men
zahar palate hain
aur jitane vo maar degaa
chalo naa bhaTake
lafange kuuch0n mein

aadatan tum ne kar diye vaade

आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ऐतबार किया

तेरी राहों में बारहा रूक कर
हम ने अपना ही इंतज़ार कीया


आब ना मांगेंगे जिंदगी या रब
य गुनाह हम ने एक बार किया


aadatan tum ne kar diye vaade
aadatan ham ne aitabaar kiyaa

terii raahon men baarahaa ruk kar
ham ne apanaa hii intazaar kiiyaa

ab naa maaNgenge zindagii yaa rab
ye gunaah ham ne ek baar kiyaa

Hosh waalon ko khabar kya

होश वालों को खबर क्या

होश वालों को खबर क्या
बेखुदी क्या चीज़ है
इश्क कीजिए फिर समझिए
ज़िंदगी क्या चीज़ है

उनसे नज़रें क्या मिली
रोशन फिज़यें हो गयीं
आज जान प्यार कि
जादूगरी क्या चीज़ है

खुलती जुल्फों ने सिखाई
मौसमों को शायरी
झुकती आंखों ने बताया
मेह्काशी क्या चीज़ है

हम लबों से कह पाए
उनसे हाल--दिल कभी
और वह समझे नही यह
खामोशी क्या चीज़ है

Hosh waalon ko khabar kya
Bekhudi kya cheez hai
Ishq kijiye fir samajhiye
Zindagi kya cheez hai

Unse nazarein kya mili
Roshan fizayein ho gayin
Aaj jaana pyaar ki
Jadoogari kya cheez hai

Khulti zulfon ne sikhayi
Mausamon ko shayari
Jhukti aankhon ne bataya
Mehkashi kya cheez hai

Hum labon se keh na paaye
Unse haal-e-dil kabhi
Aur woh samjhe nahi yeh
Khamoshi kya cheez hai

Afreen afreen

हुस्न--जान कि तारीफ मुमकिन नही
अफरीन अफरीन
अफरीन अफरीन
तू भी देखे अगर तो कहे हम-नाशी
अफरीन अफरीन
अफरीन अफरीन

ऐसा देखा नही ख़ूबसूरत कोई
जिस्म जैसे अजन्ता कि मूरत कोई
जिस्म जैसे निगाहों पे जादू कोई
जिस्म नगमा कोई, जिस्म खुशबू कोई
जिस्म जैसे मचलती हुई रागिनी
जिस्म जैसे महकती हुई चांदनी
जिस्म जैसे है खिलता हुआ एक चमन
जिस्म जैसे है सूरज कि पहली किरण
जिस्म तर्षा हुआ, दिलकश--दिल्नाशी
संदली संदली
मखमली मखमली

अफरीन अफरीन
अफरीन अफरीन

आँखें देखी तो मैं देखता रह गया
जाम दो और दोनो ही दो आतिषा
आँखें या मैकदे के दो बाब हैं
आँखें उनको कहूं, या कहूं ख्वाब है
आँखें नीची हुई तो हया बन गयी
आँखें ऊंची हुई तो दुआ बन गयी
आँखें उठ कर जुखी तो अदा बन गयी
आँखें झुक कर उठी तो फजा बन गयी
आँखें जिन में हैं क़ैद आसमान--ज़मीं
नरगिसी नरगिसी
सुरमई सुरमई


Husn-e-jaana ki tareef mumkin nahi
Afreen afreen
Afreen afreen
Tu bhi dekhe agar to kahe hum-nashi
Afreen afreen
Afreen afreen

Aisaa dekha nahi khubsoorat koi
Jism jaise Ajanta ki murat koi
Jism jaise nigahon pe jadoo koi
Jism nagma koi, jism khusboo koi
Jism jaise machalti hui raagini
Jism jaise mehakti hui chandni
Jism jaise hai khilta hua ek chaman
Jism jaise hai suraj ki pehli kiran
Jism tarsha hua, dilkash-o-dilnashi
Sandali sandali
Makhmali makhmali

Afreen afreen
Afreen afreen

Aankhen dekhi to main dekhta reh gaya
Jaam do aur dono hi do aatisha
Aankhen ya maikade ke do baab hain
Aankhen unko kahoon, ya kahoon khwaab hai
Aankhen neechi hui to hayaa ban gayi
Aankhen oonchi hui to dua ban gayi
Aankhen uth kar jukhi to adaa ban gayi
Aankhen jhuk kar uthi to fazaa ban gayi
Aankhen jin mein hain qaid aasmaan-o-zamin
Nargisi nargisi
Surmayi surmayi

Thursday, February 7, 2008

aadamii aadamii se milataa hai

आदमी आदमी से मिलता है

आदमी आदमी से मिलता है
दिल मगर काम किसी से मिलता है

भूल जाता हूँ में सितम उस के
वो कुछ इस सादगी से मिलता है

आज क्या बाट है के फूलों का
रंग तेरी हँसी से मिलता है

मिल के भी जो कभी नही मिलता
टूट कर दिल उसी से मिलता है

कार-ओ-बार-ए-जहाँ संवारते हैं
होश जब बेखुदी से मिलता है

Wednesday, February 6, 2008

do javaaN dilon kaa Gam, duriyaaN samajhatii hain

दो जवान दिलों का गम, दूरियाँ समझती हैं
कौन याद करता है, हिचकियाँ समझती हैं

तुम तो खुद ही कातिल हो, तुम य बात क्या जानों
क्यों हुआ मैं दीवाना, बेदीयाँ समझती हैं

बाम से उतरती है जब हसीं दोशिज़ा
जिस्म की नजाकत को, सीदीयाँ समझती हैं

[बाम=ladder; दोशिज़ा=ब्रिदे]

यूं तो सैर-ए-गुलशन को, कितने लोग आते हैं
फूल कौन तोदेगा डालियाँ समझती हैं

जिसने कर लिया दिल में पहली बार घर 'डेनिश'
उस को मेरी आंखों की पुतलियाँ समझती हैं

tujhase milane kii sazaa denge tere shahar ke log

तुझसे मिलाने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग


तुझसे मिलाने की सज़ा देंगे तेरे शहर के लोग
य वफाओं का सिला देंगे तेरे शहर के लोग

क्या खबर थी तेरे मिलाने पे क़यामत होगी
मुझको दीवाना बना देंगे तेरे शहर के लोग

तेरी नज़रों से गिराने के लिए जान-ए-हया
मुझको मुजरिम भी बना देंगे तेरे शहर के लोग

कह के दीवाना मुझे मार रहे हैं पत्थर
और क्या इसके सिवा देंगे तेरे शहर के लोग

tumhaare bulaane ko jii chaahataa hai

तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है


तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है
मुक़द्दर बनाने को जी चाहता है

जो तुम आओ तो साथ खुशियाँ भी आयें
मेरा मुस्कुराने को जी चाहता है

तुम्हारी मुहब्बत में खोयी हुई हूँ
तुम्हे.न य सुनाने को जी चाहता है

य जी चाहता है कि तुम्हारी भी सुन लूँ
खुद अपनी सुनाने को जी चाहता है

un aaNkhon kaa aalam gulaabii gulaabii

उन आंखों का आलम गुलाबी गुलाबी


उन आंखों का आलम गुलाबी गुलाबी
मेरे दिल का आलम शराबी शराबी

निगाहों ने देखी मुहब्बत ने मानी
तेरी बेमिसाली तेरी लाजवाबी

य दूद-दीदा नज़रें य रफ़्तार-ए-नाज़ुक
इन्हीं की बदौलत हुई है खराबी

खुदा के लिए अपनी नज़रों को रोको
तमन्ना बनी जा रही है जवाबी

है "बेह्ज़द" उनकी निगाह-ए-करम पर
मेरी ना-मुरादी मेरी कामयाबी

aap ko dekh kar dekhataa rah gayaa

आप को देख कर देखता रह गया

आप को देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होठों पे कुछ काँपता रह गया

उन की आंखों में कैसे छलकने लगा
मेरे होंठों पे जो माजरा रह गया

ऐसे बिछडे सभी राह के मोड़ पर
आखरी हमसफ़र रास्ता रह गया

सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है य
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया

झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
इक मैं था कि सच बोलता रह गया

haNs ke bolaa karo bulaayaa karo

हंस के बोला करो बुलाया करो

हंस के बोला करो बुलाया करो
आप का घर है आया जाया करो

मुस्कराहट है हुस्न का जेवर
रूप बढ़ता है मुस्कुराया करो

हद से बाद कर हसीं लगते हो
झूठी क़समें ज़रूर खाया करो

हुक्म करना भी एक सखावत है
हम को खिदमत कोई बताया करो

बात करना भी बादशाहत है
बात करना न भूल जाया करो

ता के दुनिया की दिलकशी न घटे
नित नए पैरहण में आया करो

कितने सादा मिजाज हो तुम 'आदम'
उस गली में बहुत न जाया करो

aap agar ham ko mil gaye hote

आप अगर हम को मिल गए होते

आप अगर हम को मिल गए होते
बाग़ में फूल खिल गए होते

आप ने यूं ही घूर कर देखा
होंठ टू यूं भी सिल गए होते

काश हम आप इस तरह मिलते
जैसे दो वक़्त मिल गए होते

हम को अहल-ए-खिरद मिले ही नहीं
वरना कुछ मुन्फा_ईल गए होते

[ahal-e-Khirad = intelligent; मुन्फैइल = ashamed]

उस की आँखें ही काज-नज़र थीं "ऐडम"
दिल के परदे टू हिल गए होते

[काज-नज़र = सली लुक]

phir se mausam bahaaron kaa aane ko hai

फिर से मौसम बहारों का आने को है
फिर से रंगीन ज़माना बदल जाएगा
आब की बज्म-ए-चरागाँ सजा लेंगे हम
य भी अरमां दिल का निकल जाएगा

आप कर दें जो मुझ पे निगाह-ए-करम
मेरी उल्फत का रह जाएगा कुछ भरम
यूं फ़साना तो मेरा रहेगा यहीं
सिर्फ उनवान उस का बदल जाएगा

फीकी फीकी सी क्यूँ शाम-ए-मैखाना है
लुत्फ़-ए-साकी भी कम खाली पैमाना है
अपनी नज़रों से ही कुछ पिला दीजिये
रंग महफ़िल का खुद ही बदल जाएगा

मेरे मिटने का उन को ज़रा गम नहीं
जुल्फ भी उन की ई दोस्त बरहम नहीं
अपने होने ना होने से होता है क्या
काम दुनिया का यूं ही तो चल जाएगा

आप ने दिल जो 'ज़हिद' का तोडा तो क्या
आप ने उस की दुनिया को छोडा तो क्या
आप इतने तो आख़िर परेशान न हों
वो संभालते संभालते संभल जाएगा

Guruub-e-shaam hii se Khud ko yuuN mahasuus karataa huuN

गुरूब-ए-शाम ही से खुद को यूं महसूस करता हूँ
कि जैसे इक दिया हूँ और हवा की ज़द पे रखा हूँ

चमकती धूप तुम अपने ही दामन में न भर लेना
मैं सारी रात पदों की तरह बारिश में भीगा हूँ

कोई टूटा हुआ रिश्ता न दामन से उलझ जाये
तुम्हारे साथ पहली बार बाज़ारों में निकला हूँ

य किस आवाज़ का बोसा मेरे होंठों पे कांपा है
मैं पिछली शब सदाओं की हलावत भूल बैठा हूँ

बिछड़ के तुम से मैं ने भी कोई साथी नहीं धूँधा
हुजूम-ए-रहगुज़र में दूर तक देखो अकेला हूँ

zindagii tujh se mil kar zamaanaa huaa

जिंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
आ तुझे आज हम मैकदे ले चलें
रात के नाम होंठों के सागर लिखें
अपनी आंखों में कुछ रात-जगे ले चलें
क्या हस्सिं लोग हैं
आँख आहों की हैं और लैब पंखादी
इन की आराइश-ए-खाल-ओ-ख़त के लिए
अपनी आंखों के हम आईने ले चलें
अजनबी चहरे मी.न दोस्त बनाते नहीं
रिश्ते-नातों की चांदी बरसती नहीं
कुर्बतें सोहाबतें जिन की याद आयेंगी
ऐसे कुछ दोस्तों के पते ले चलें
उन की आंखों ने जलाते सुलगते हुए
मंज़रों के सिवा कुछ भी देखा नहीं
चेहरा-ए-अफ़सोस के सकिनों के लिए
फूल-ओ-खुश्बू सबा जाम-जामें ले चलें
जिंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ

koii kaaNTaa chubhaa nahiin hotaa

कोई काँटा चुभा नहीं होता
दिल अगर फूल सा नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
यूं कोई बेवफा नहीं होता

गुफ्तगू उन से रोज़ होती है
मुद्दतों सामना नहीं होता

जी बहुत चाहता सच बोलें
क्या करें हौसला नहीं होता

रात का इंतज़ार कौन करे
आज कल दिन में क्या नहीं होता