हम दुआ लिखते रहे वो दगा पड़ते रहे
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता हैतेरे आगे चाँद पुराना लगता है
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैंसीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है
आग का क्या है पल दो पल में लगती हैबुझाते बुझाते एक ज़माना लगता है
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