जिंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
आ तुझे आज हम मैकदे ले चलें
रात के नाम होंठों के सागर लिखें
अपनी आंखों में कुछ रात-जगे ले चलें
क्या हस्सिं लोग हैं
आँख आहों की हैं और लैब पंखादी
इन की आराइश-ए-खाल-ओ-ख़त के लिए
अपनी आंखों के हम आईने ले चलें
अजनबी चहरे मी.न दोस्त बनाते नहीं
रिश्ते-नातों की चांदी बरसती नहीं
कुर्बतें सोहाबतें जिन की याद आयेंगी
ऐसे कुछ दोस्तों के पते ले चलें
उन की आंखों ने जलाते सुलगते हुए
मंज़रों के सिवा कुछ भी देखा नहीं
चेहरा-ए-अफ़सोस के सकिनों के लिए
फूल-ओ-खुश्बू सबा जाम-जामें ले चलें
जिंदगी तुझ से मिल कर ज़माना हुआ
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