ई मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
ई मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया
जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया
यूं तो हर शाम उम्मीदों में गुज़र जाती थी
आज कुछ बात है जो शाम पे रोना आया
कभी तकदीर का मातम कभी दुनिया का गिला
मंजिल-ए-इश्क में हर गाम पे रोना आया
[gaam=step]
जब हुआ ज़िक्र ज़माने में मोहब्बत का 'शकील'
मुझ को अपने दिल-ए-नाकाम पे रोना आया
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