Wednesday, February 6, 2008

aap ko dekh kar dekhataa rah gayaa

आप को देख कर देखता रह गया

आप को देख कर देखता रह गया
क्या कहूँ और कहने को क्या रह गया

आते आते मेरा नाम सा रह गया
उसके होठों पे कुछ काँपता रह गया

उन की आंखों में कैसे छलकने लगा
मेरे होंठों पे जो माजरा रह गया

ऐसे बिछडे सभी राह के मोड़ पर
आखरी हमसफ़र रास्ता रह गया

सोच कर आओ कू-ए-तमन्ना है य
जानेमन जो यहाँ रह गया रह गया

झूट वाले कहीं से कहीं बढ़ गए
इक मैं था कि सच बोलता रह गया

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