कहीन्न ऐसा ना हो दामन जला लो
कहीं ऐसा ना हो दामन जला लो
हमारे आंसुओं पर ख़ाक डालो
मनाना ही ज़रूरी है तो फिर तुम
हमें सब से खफा होकर मना लो
बहुत रोई हीन लगती हैं आँखें
मेरी खातिर ज़रा काजल लगा लो
अकेलेपन से खौफ आता है मुझ को
कहाँ हो ई मेरे ख़्वाबों ख्यालों
बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुम से
कभी आकर मुझे हैरत में डालो
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