हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं
ज़िंदा टू हैं जीने की अदा भूल गए हैं
खुश्बू जो लुटाते हैं मसलते हैं उसी को
एहसास का बदला य मिलता है कली को
एहसास टू लेते हैं सिला भूल गए हैं
करते हैं मुहब्बत का और एहसास का सौदा
मतलब के लिए करते हैं ईमान का सौदा
डर मौत का और खौफ ऐ खुदा भूल गए हैं
आब मोम में ढलकर कोई पत्थर नहीं होता
आब कोई भी कुर्बान किसी पर नहीं होता
क्यूँ भटके हैं मंजिल का पता भूल गए हैं
1 comment:
विक्रम जी यदि आप अक्षरों का रंग पीला कर दें या पीछे का रंग नीले के बजाय कोई हल्का रंग कर दें तो आपका चिट्ठा और कलात्मक हो जाए।
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