Tuesday, May 6, 2008

dekhanaa hai vo mujh par meharabaan kitanaa hai

देखना है वो मुझ पर मेहरबान कितना है
असलियत कहाँ तक है और गुमान कितना है

[असलियत = रियलिटी; गुमान = दौब्त]

क्या पनाह देती है और य ज़मीन मुझ को
और अभी मेरे सर पर आसमान कितना है

[पनाह = शेल्टर]

कुछ ख़बर नहीं आती किस रवीश पे है तूफ़ान
और कटा पता बाकी बादबान कितना है

[बादबान = सैल]

तोड़ फोड़ करती हैं रोज़ ख्वाहिशें दिल में
तंग इन मकानों से य मकान कितना है

क्या उठाये फिरता है बार-ऐ-आशिकी सर पर
और देखने में वो धान-पान कितना है

[बार = वेइघ्त्/बुर्दें]

हर्फ़-ऐ-आरजू सुन कर जांचने लगा यानी
इस में बात कितनी है और बयान कितना है

फिर उदास कर देगी सरसरी झलक उस की
भूल कर य दिल उस को शादामान कितना है

[शादामान = हैप्पी]

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