चलो एक बार फिर से, अजनबी बन जाए हम दोनों -२
न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखूँ दिलनवाज़ी की
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खादाये मेरी बातों में
न ज़ाहिर हो तुम्हारी कश्म-काश का राज़ नज़रों से
चलो एक बार फिर से..
तुम्हें भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से
मुझे भी लोग कहते हैं, की यह जलवे पराये हैं
मेरे हमराह भी रुस्वाइयां हैं मेरे माझी की -२
तुम्हारे साथ भी गुजरी हुई रातों के साए हैं
चलो एक बार फिर से..
तार्रुफ़ रोग हो जाए तो उसको भूलना बेहतर
ताल्लुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा
वोह अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन -२
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा
चलो एक बार फिर से..
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