Wednesday, October 1, 2008

कभी किताबों मैं फूल रखना कभी दरख्तों पे नाम लिखना,

कभी किताबों मैं फूल रखना कभी दरख्तों पे नाम लिखना,
भी याद है अज्ज तक वोह नज़र से हर्फ़ ऐ सलाम लिखना॥

वोह चाँद चेहरे, वोह बहकी बातें सुलगते दिन थे सुलगती रातें,
वोह छोटे छोटे से कघजों पैर मोहबतों के पयाम लिखना॥

गुलाब चेहरों से दिल लगना वोह चुपके चुपके नज़र मिलाना,
वोह अर्जून्न के खुवाब बुनना वोह किस ऐ नातमाम लिखना॥

मेरे नगर के हसीं फिजाओं! कहें जो उन का निशान पो,
तो पूछना कहाँ बसे वोह कहाँ है उन का कायम लिखना॥

गए रूटों मैं हस्सन हमारा बस एक हे तो यह मश्घला था,
किसी के चेहरे को सुबह लिखना किसी के जुल्फ को शाम लिखना॥

2 comments:

वीनस केसरी said...

एक अच्छी कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद
गजल की क्लास चल रही है आप भी शिरकत कीजिये www.subeerin.blogspot.com
वीनस केसरी

anuragendra nigam said...

आप की गज़लों को पड़ा माशाअल्लाह दिल खुश हो गया ........शुकरिया