Wednesday, September 10, 2008

Us mod se shuru kareN phir Ye zindagi

     
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी

उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीं थी, हम तुम थे अजनबी

लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख्वाब थे
फूलों के ख्वाब थे वो मोहब्बत के ख्वाब थे
लेकिन कहाँ है उनमें वो पहले सी दिलकशी

रहते थे हम हसीं ख्यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फुर्सत की हर घड़ी

शायद ये वक्त हमसे कोई चाल चल गया
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढल गया
अश्कों की चान्दिनी से थी बेहतर वो धुप ही


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