य दौलत भी ले लो, य शोहरत भी ले लो
य दौलत भी ले लो, य शोहरत भी ले लो
भले चीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बच्चपन का सावन
वो कागज़ की कस्थी वो बारिश का पानी
मोहल्ले की सबसे निशानी पुराणी
वो बुधिया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चेहरे के झुरियों में सदियों का फेरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वो चोटी सी रातें वो लम्बी कहानी
कड़ी धुप में अपने घर से निकलना
वो चिडिया वो बुलबुल वो ठिठली पकड़ना
वो गुडिया की शादी पे लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना, वो गिर के संभालना
वो पीथल के छल्लों के प्यारे से थो'फे
वो टूटी हुई चूडियों की निशानी
कभी रे'टी के ऊंचे तिलों पे जाना
घरोंदे बनाना, बनाके मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख्वाबों खिलोनो की ताबीर जागीर अपनी
न दुनिया का ग़म था न रिश्तों के बंधन
बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी
Wednesday, September 10, 2008
Ye Daulat bhi le lo ye Soharat bhi le lo
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment