प्रिय पाठकों
कैफी आजमी साहब के अल्फाजो मे....
"दौर यह चलता रहे , रंग उछालता रहे
रुप मचलता रहे, जाम बदलता रहे ।
हमे अपने इस चिट्ठे को २ दिनों का अल्प-विराम देना पड़ रहा हैं, मैं अपनी सरजमीं कानपूर कि ओरे कूच कर रह हूँ । वो कहते है ना अंग्रेजी मे I'll be back....
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