१.एक नाम क्या लिखा तेरा साहिल कि रेत पर
फिर उमर भर हवा से मेरी दुश्मनी रही
२. ढूँढता फिरता हूँ मैं लोगों मैं शोह्बत उसकी
के वह ख्वाबों मैं भी लगती है ख्यालों जैसी
३.माना के आपके नज़रों मैं कुछ नहीं हैं हम
मगर उनसे जाकर पूछिये जिन-हैं हासिल नही हैं हम
४.मंजिल को पाने के लिए साहिल को पार करना परता है
मोहब्बत करने के लिए दिल-ओ-जान कुर्बान करना परता है
5.खुदा किसी को किस पर फ़िदा न करे,
अगर करे तो कयामत तक जुदा न करे
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