अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ
अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ
कोई आंसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोटी बनाना चाहता हूँ
थक गया मैं करते-करते याद तुझको
आब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ
छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा
रौशनी हो घर जलाना चाहता हूँ
आखरी हिचकी तेरे जानो.न पे आये
मौत भी मई.न शायराना चाहता हू.न
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