Monday, January 28, 2008

apane hoThon par sajaanaa chaahataa huuN

अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ

अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ
आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ

कोई आंसू तेरे दामन पर गिराकर
बूंद को मोटी बनाना चाहता हूँ

थक गया मैं करते-करते याद तुझको
आब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ

छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा
रौशनी हो घर जलाना चाहता हूँ

आखरी हिचकी तेरे जानो.न पे आये
मौत भी मई.न शायराना चाहता हू.न

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