Monday, January 28, 2008

sadamaa to hai mujhe bhii ki tujhase judaa huu.N mai.n

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं

सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं
लेकिन य सोचता हूँ कि आब तेरा क्या हूँ मैं

बिखरा पडा है तेरे ही घर में तेरा वजूद
बेकार महफिलों में तुझे धूँद्ता हूँ मैं

मैं खुदकशी के जुर्म का करता हूँ ऐताराफ
अपने बदन की कब्र में कबसे गदा हूँ मैं

किस-किसका नाम लूँ ज़बान पर कि तेरे साथ
हर रोज़ एक शख्स नया देखता हूँ मैं

ना जाने किस अदा से लिया तूने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है के सब कुछ तेरा हूँ मैं

ले मेरे तजुर्बों से सबक ऐ मेरे रकीब
दो चार साल उम्र में तुझसे बड़ा हूँ मैं

जागा हुआ ज़मीर वो आईना है "क़तील"
सोने से पहले रोज़ जिसे देखता हूँ मैं

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