Monday, January 14, 2008

kaise kah duuN ki mulaaqaat nahiin hotii hai

कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है


कैसे कह दूँ की मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बाट नहीं होती है


आप लिल्लाह न देखा करें आईना कभी
दिल का आ जाना बड़ी बाट नहीं होती है


छुप के रोता हू.न तेरी याद में दुनिया भर से
कब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है


हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन टू होता है मगर रात नहीं होती है


जब भी मिलते हैं टू कहते हैं कैसे हो "शकील"
इस से आगे टू कोई बाट नहीं होती है

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