Friday, January 25, 2008

duusaro ko hamaarii sazaayen na de

दूसरो को हमारी सज़ाएँ न दे

दूसरो को हमारी सज़ाएँ न दे
चांदनी रात को बाद-दुआएं न दे

फूल से आशिकी का हुनर सीख ले
तितलियाँ खुद रुकेंगी सदायें न दे

सब गुनाहों का इक़रार करने लगें
इस कदर खुबसूरत सज़ाएँ न दे

मोतियों को छुपा सीपियों की तरह
बेवफाओं को अपनी वफायें न दे

मैं बिखर जाऊंगा आंसूओं की तरह
इस कदर प्यार से बाद-दुआएं न दे

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