बना बना के तमन्ना मिटाइ जाती है
बना बना के तमन्ना मिटाई जाती है
तरह तरह से वफ़ा आज़माई जाती है
जब उन को मेरी मुहब्बत का ऐतबार नही.न
तो झुका झुका के नज़र क्यो मिलाई जाती है
हमारे दिल का पता वो हमे.न नही.न देते
हमारी चीज़ हमी.न से छुपाई जाती है
'शकील' दूरी-ए-मंजिल से ना-उम्मीद न हो
मंजिल आब आ ही जाती है आब आ ही जाती है
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