Sunday, January 13, 2008

sunaa karo merii jaaN in se un se afasaane

सूना करो मेरी जान इन से उन से अफसाने


सूना करो मेरी जान इन से उन से अफसाने
सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने

यहाँ से जल्द गुज़र जाओ काफिले वालों
हैं मेरी प्यास के फूंके हुए य वीराने

मेरी जुनून-ए-परस्तिश से तंग आ गए लोग
सूना है बंद किये जा रहे हैं बुत-खाने

जहाँ से पिछले पहर कोई तश्ना-काम उठा
वहीं पे तोड हैं यारों ने आज पैमाने

बहार आये तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सेहरा ने

सिवा है हुक्म कि "कैफी" को संग-सार करो
मसीहा बैठे हैं छुप के कहा.न खुदा जाने

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