सूना करो मेरी जान इन से उन से अफसाने
सूना करो मेरी जान इन से उन से अफसाने
सब अजनबी हैं यहाँ कौन किस को पहचाने
यहाँ से जल्द गुज़र जाओ काफिले वालों
हैं मेरी प्यास के फूंके हुए य वीराने
मेरी जुनून-ए-परस्तिश से तंग आ गए लोग
सूना है बंद किये जा रहे हैं बुत-खाने
जहाँ से पिछले पहर कोई तश्ना-काम उठा
वहीं पे तोड हैं यारों ने आज पैमाने
बहार आये तो मेरा सलाम कह देना
मुझे तो आज तलब कर लिया है सेहरा ने
सिवा है हुक्म कि "कैफी" को संग-सार करो
मसीहा बैठे हैं छुप के कहा.न खुदा जाने
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